सीताहरण एवम जटायु वध, साधु का धरा वेश, सीता हर ले गया लंकेश।

मारीच ने अपनाया मुक्ति का मार्ग,जटायु ने किया रावण का विरोध

बाराबंकी,यूपी। नगर की रामलीला में श्री राम के हाथो खर दूषण का वध देखकर सूर्पनखा अधीर हो जाती है, विलाप करती सूर्पनखा यह समाचार लंका के राजा और अपने भाई रावण को सुनाती है, रावण प्रभु की लीला को पहचान जाता है और अपनी मुक्ति का मार्ग प्रशस्त करता है, जिसके लिए वह सीताहरण की योजना बनाता है और अपने मामा मारीच को स्वर्ण मृग बनकर पंचवटी जाने का आदेश देता है और सीता को राम से दूर ले जाने की योजना बनाता है।

मारीच और रावण प्रसंग में मारीच रावण से कहता है कि यह दोनो राजकुमार बहुत शूरवीर है, विश्वामित्र के यज्ञ की रक्षा के दौरान राम ने मुझे बिना फल का बाण मारा था जिस कारण से मैं कुछ ही क्षण में सौ योजन दूर जाकर गिरा था, इन दोनो राजकुमार को जब मैं देखता हू तो मेरी स्थिति भृंगी कीड़े के समान हो जाती है, अपने विरोधी का यशगान सुनकर अहंकारी रावण क्रोधित हो उठा और मारीच को सोने का मृग बनने का आदेश दिया, मारीच मन ही मन सोचता है कि मृत्यु दोनो तरफ है किंतु रावण के हाथो मृत्यु पाने से बेहतर है कि श्री राम के बाणों से वह तर जाए, इसी के साथ वह मायावी मृग का रूप धारण कर पंचवटी पंहुचता है।

माता सीता की नज़र जब स्वर्ण मृग पर पड़ती है तब वह प्रभु श्री राम से उसका आखेट करने की बात कहती है, प्रभु राम लक्ष्मण को सीता के पास छोड़कर स्वर्ण हिरण पकड़ने जाते है, प्रभु जब हिरण पर तीर चलाते है इसी दौरान मारीच हे लक्ष्मण हे सीता कहते हुए अपने वास्तविक रूप में आ जाता है।

आवाज सुनकर माता सीता प्रभु श्री राम को मुसीबत में समझकर लक्ष्मण को उनकी मदद हेतु भेजती है, लक्ष्मण माता सीता के चारों ओर घेरा बनाकर उन्हें किसी भी दशा में लक्ष्मण रेखा से बाहर न आने की बात कह कर चले जाते हैं।

इसी क्षण का इंतजार कर रहा रावण वहां पर साधु वेश में आता है और भिक्षामि देहि कहकर भिक्षा की मांग करता है, माता द्वारा रेखा के अंदर से भिक्षा देने पर वह बंधी भिक्षा न लेने की बात कह कर माता को रेखा के पार बुलाता है, माता सीता, लक्ष्मण रेखा को पार कर बाहर आती हैं तभी रावण अपने वास्तविक रूप में आ जाता है और माता सीता का हरण कर पुष्पक विमान से आकाश मार्ग से लंका की ओर जाने लगता है इसी दौरान जटायु रावण का विरोध करता है और माता सीता को मुक्त करने की बात कहता है, अहंकारी रावण अरुण देव के पुत्र जटायु के पंखों को चंद्रहास से काटकर उन्हें पंखविहीन कर देता है।

रावण एवम मारीच प्रसंग में रावण का किरदार इंटीरियर डिजाइनर अमर सिंह तथा मारीच का किरदार समिति के मीडिया प्रभारी नितेश मिश्रा ने निभाया,लीला व्यास की मधुर वाणी में चौपाइयों के अनुसार लीला संपन्न कराई गई, रूप सज्जा की व्यवस्था विनय सिंह एवम नितेश मिश्रा की टीम ने संभाली, इस दौरान अनिल अग्रवाल, रामलखन, शिवकुमार, राजेश गुप्ता कृष्णा, राजेश मौर्य, राकेश वर्मा, संतोष जायसवाल, अंकित राजा, काका, सुधीर जैन, रमेश कुरील, आदि लोग मौजूद रहे।