कोरांव में रहते हुए ही की ऑनलाइन तैयारी
Prayagraj,up: कदम निरंतर चलते जिनके, श्रम जिनका अविराम है, विजय सुनिश्चित होती उनकी, घोषित यह परिणाम है। कोरांव बाजार के सर्राफा व्यवसायी रितेश केसरवानी के होनहार पुत्र रिशित केशरवानी ने कोरांव में रहते हुए घर पर ही तैयारी कर नीट 2023 की परीक्षा में 678 नंबर और ऑल इंडिया में 1800 रैंक हासिल कर इन लाइनों को सही साबित किया है। अपने अथक परिश्रम, मेहनत व लगन के बल पर कोरांव बाजार के सर्राफा कारोबारी के पुत्र रिशित केसरवानी ने एमबीबीएस की पढ़ाई के लिए अपना चयन सुनिश्चित कर प्रयागराज जनपद का नाम रौशन किया है।
दरअसल कोरांव के रहने वाले रिशित केसरवानी ने नीट यूजी में 1800 रैंक हासिल करने की उपलब्धि महानगरों में रहते हुए वहां कोचिंग कर नहीं बल्कि अपने घर पर ही रहते हुए पढ़ाई कर हासिल की है। जिसके लिए उन्होंने ऑनलाईन तैयारी की।
वही रिशित केसरवानी सामान्य व्यापारी परिवार से हैं। इनके दादा जी मनमोहन केसरवानी और पिता रितेश केसरवानी सर्राफा कारोबारी हैं। सेंट जांस एकेडमी नैनी से 2021 में 94 प्रतिशत अंक प्राप्त कर इंटरमीडिएट करने वाले रिशित केसरवानी पढ़ाई में अव्वल रहे हैं।
रिशित केसरवानी ने पिछले वर्ष 2022 में भी नीट की परीक्षा दी थी, जिसमें उन्होंने 26000 रैंक हासिल किया था। काउंसिलिंग के दौरान उन्हें प्राइवेट कॉलेज मिल रहे थे, लेकिन उन्होंने सरकारी कॉलेज में ही पढ़ाई कर एमबीबीएस बनने का लक्ष्य तय कर रखा था। इसलिए उन्होंने दाखिला लेने के बजाय एक बार फिर से तैयारी कर अपना भविष्य बनाने और सरकारी कॉलेज में दाखिला लेने का निर्णय लिया। जिसके लिए उन्होंने फिर से नीट परीक्षा में सम्मिलित होने के लिए पूरे मनोयोग से घर से ही तैयारी के लिए अपने को खपा दिया, जिसके परिणामस्वरूप सफलता आज उनके गले का हार बन गई। पिछले वर्ष हासिल 26000 रैंक में जबर्दस्त सुधार करते हुए इस वर्ष ऑल इंडिया 1800 रैंक में अपनी जगह बनाई।
बचपन में ही तय कर लिया था कि डॉक्टर बनना है
रिशित केसरवानी ने बताया कि उन्होंने बचपन में ही मन बना लिया था कि डॉक्टर बनना है और समाज की सेवा करना है। अपने इसी सपने को लक्ष्य मानते हुए वर्ष 2022 में इंटर की परीक्षा देने के साथ ही नीट की तैयारियों में जुट गए थे। पिछले वर्ष नीट की परीक्षा में जहां 26000 रैंक हासिल किया था। वहीं इस बार 1800 रैंक में अपनी जगह सुनिश्चित की। रिषित केसरवानी अपनी सफलता का श्रेय अपने दादाजी और माता पिता को देते हैं।