तुलसी ज्योतिष और वास्तुशास्त्र।

शिवयोगी श्रीप्रमोदजी महराज

तुलसी का पौधा बुध का प्रतिनिधित्व करता है जो भगवान कृष्ण का एक स्वरूप माना गया है।
वास्तु शास्त्र के अनुसार घर में तुलसी के पौधे के लिये “उत्तर” “उत्तर-पूर्व” या “पूर्व” दिशा का चुनाव करना चाहिए। इससे घर में सकारात्मक ऊर्जा पैदा होती है और नकारात्मक ऊर्जा नष्ट हो जाती है।
लेकिन इस बात का ध्यान ज़रूर रखना चाहिए कि घर की दक्षिण दिशा में तुलसी का पौधा ना लगाए।
अन्यथा इससे आपको नुकसान का सामना करना पड़ सकता है। वास्तु के अनुसार तुलसी का पौधा छत पर रखने से दोष लगता है। अपनी कुंडली में बुध की स्थिति का पता जरूर लगवाना चाहिए। साथ ही जिन लोगों का बुध धन से संबंध रखता है और वो लोग तुलसी को छत पर रखते हैं तो उन्हें आर्थिक हानि होनी शुरू हो जाती है।

जो लोग घर की छत पर तुलसी का पौधा रखते हैं आमतौर पर उनकी कुंडली में एक दोष मिलता है जिसे प्राकृत दोष कहते हैं। प्रकृति से जो ऋण या दोष हमें मिलता है उसे प्राकृत दोष कहते हैं और इसका सीधा संबंध बुध से होता है। जिसका बुध खराब हो उसका पता घर की उत्तर दिशा से चलता है ऐसे में अगर घर की तुलसी को छत पर रख दिया जाए तो बुध की स्थिति और भी खराब हो जाती है जिसका सीधा असर आर्थिक रूप से पड़ता है।

बुध बुद्धि के साथ धन का भी ग्रह है।

दरअसल बुध को व्यापार का स्वामी माना जाता है। इसलिए तुलसी के पौधे को कभी भी छत पर नही रखना चाहिए। तुलसी के पौधे को पूर्व दिशा में भी नहीं रखना चाहिए। इसे आप उत्तर से लेकर ईशान दिशा तक में रख सकते हैं। तुलसी के पौधे को पश्चिम दिशा की तरफ भी रखा जा सकता है।

ध्यान देने वाली बात ये है कि दक्षिण-पश्चिम में और दक्षिण में हमेशा श्यामा तुलसी रखी जाती है।
श्यामा तुलसी में पत्तियां बिल्कुल हरी और बड़ी होती हैं। इसे तुलसा जी भी कहा जाता हैं। तुलसा जी को दक्षिण दिशा में रखने पर वास्तु दोष ज्यादा होते हैं। अगर आपके पास तुलसी जी को छत पर रखने के सिवाय कोई और जगह नहीं है तो एक विशेष उपाय जरूर करें तुलसी को कभी भी अकेले ना रखें। हमेशा उस पौधे को केले के पौधे के साथ रखें। दोनों पौधे बिल्कुल साथ में रखें और इसे मौली से बांध लें। इससे आपको वास्तु दोष की हानि नहीं होगी।