प्रयागराज, यूपी। केपी ट्रस्ट में चल रही है अजीब राजनीति, इसके पहले टीपी सिंह से खतरा था तो उनकी सदस्यता समाप्त कर दी गई और अब जब डॉक्टर सुशील सिन्हा से खतरा लग रहा है तो उनकी भी सदस्यता खतरे में पड़ गई है। रजिस्टार के यहां 4 को सुनने का समय मिला है तो 30 को ही बैठक करके निपटाने का प्लान बन गया है।
हालांकि नामांकन 4 तारीख तक है , ऐसे में कुमार नारायण के नामांकन के लिए समय रहेगा अगर सिन्हा जी का नामांकन रद्द होता है तो, हालांकि कोर्ट भले ही जाने का रास्ता है लेकिन उसमे समय लगना तय है।
हुआ क्या ?
केपी ट्रस्ट की स्थापना शिक्षा को लेकर हुई थी , जिसके तहत केपी इंटर कॉलेज, चौधरी महादेव प्रसाद डिग्री कॉलेज, केपी गर्ल्स कॉलेज, ला कालेज , कुल भास्कर डिग्री कॉलेज आदि की स्थापना हुई , उसी समय बीएचयू की स्थापना भी हुई लेकिन आई बीएचयू कहां है और कायस्थ पाठशाला की बिल्डिंग जर्जर हो गई। विकास के नाम पर चार चार शादी घर बने हैं जहां से हर साल करोड़ों की इनकम होती है , लेकिन नए संस्थान बनवाने या विश्विद्याल की तरफ कोई ध्यान नही दिया गया।
बना व्योसाय
हर पांच साल में चुनाव होता है नेता लोग भी नही चाहते हैं कि ज्यादा सदस्य हों कि भीड़ बढ़ जाय । बस कम लोग रहेंगे तो कुर्सी आपस में ही किसी के पास रहेगी , इसीलिए कड़े नियम बना दिए गए और चुनावी साल में दो चार हजार सदस्य अपने पैसे से बना दिए जाते हैं और जीत लिया जाता है।
पुस्तैनी न होने की वजह से करोड़ो रुपए के ट्रस्ट पर जो अध्यक्ष होता है वह उसी नजरिए से देखता है, यही वजह है कि केपी ट्रस्ट के चुनाव में दो से तीन करोड़ रुपए तक खर्च हो जाते हैं।
कम वोटर लेकिन टंटे बहुत
केपी ट्रस्ट में कुल 31750 के करीब वोटर हैं, पिछली बार 8000 के करीब वोट पड़ा था। कहने को तो केपी ट्रस्ट पूरे कायस्थ समाज का नेतृत्व करता है लेकिन प्रयागराज में कुल ढाई लाख कायस्थ में केवल 32 हजार वोटर वो भी प्रयागराज में लगभग 20 हजार और बाकी अन्य जगहों पर , केपी ट्रस्ट के वोटर विदेशों तक में हैं । केपी ट्रस्ट का ट्रस्टी वही बन सकता है जिसके माता पिता दोनो कायस्थ हों।