शिवयोगी श्रीप्रमोदजी महराज
अयोध्या, यूपी। दर्भ या कुश को जल और वनस्पतियों का सार माना जाता है। यह भी मान्यता है कि कुश और तिल दोंनों विष्णु के शरीर से निकले हैं। गरुड़ पुराण के अनुसार तीनों देवता ब्रह्मा विष्णु महेश कुश में क्रमश: जड़ मध्य और अग्रभाग में रहते हैं।
कुश का अग्रभाग देवताओं का मध्य भाग मनुष्यों का और जड़ पितरों का माना जाता है। तिल पितरों को प्रिय हैं। और दुष्टात्माओं को दूर भगाने वाले माने जाते हैं। मान्यता है कि बिना तिल बिखेरे श्राद्ध किया जाये तो दुष्टात्मायें हवि को ग्रहण कर लेती हैं।