ज्ञान वृद्वि की पुस्तकों का शानदार संगम, पर सस्ती हों पुस्तकें।

त्रिभुवन नाथ शर्मा की रिपोर्ट

पुस्तक मेले में कवि सम्मेलन, मुशायरा और पुस्तक का विमोचन।

कल भी आबाद थी, अब भी आबाद हूँ , मैं इलाहाबाद हूँ , मैं इलाहाबाद हॅूं ’

प्रयागराज,यूपी। ‘ज्ञान कुंभ’ थीम पर आधारित एंग्लों बंगाली इंटर कालेज में चल रहा तृतीय प्रयागराज पुस्तक मेले में अब अपने अंतिम दौर में पहुॅच गया है। दस दिवसीय पुस्तक मेले का शनिवार को नौंवा दिन रहा। आज पुस्तक मेले में जहां पुस्तक प्रेमियों ने अपनी मनपंसद की पुस्तकें खरीदी तो वहीं उनके लिये कवि सम्मेलन एवं मुशायरे का भी आयोजन किया गया था। साथ ही डाॅ0 अजय मालवीय की कृति ‘उर्दू सीखें’ पुस्तक का विमोचन भी किया गया। मेले के साहित्यिक मंच पर आयोजित इस समारोह के मुख्य अतिथि महापौर गणेश केसरवानी, विशिष्ट अतिथि महानगर अध्यक्ष भाजपा के राजेन्द्र मिश्र और वरिष्ठ साहित्यकार मंसूर आलम रहे। जबकि अध्यक्षता एंग्लो बंगाली इंटर कालेज के प्रबंधक प्रो0 असमी मुखर्जी ने की।


प्रयागराज पुस्तक मेला के सह-संयोजक मनीष गर्ग ने बताया कि कवि सम्मेलन एवं मुशायरे के मुख्य अतिथि वरिष्ठ साहित्यकार डाॅ0 राम नरेश त्रिपाठी पिंडीवासा, विशिष्ठ अतिथि वरिष्ठ साहित्यकार हकीम रेशादुल इस्लाम, अजामिल व्यास और अध्यक्षता डाॅ0 विजयानन्द तिवारी ने किया। इसका संचालन शाहिद इलाहाबादी तो पुस्तक विमोचन का संचालन मिसबाह इलाहाबादी ने किया।


मंच से हकीम रेशादुल ने पढ़ा कि ‘सरीको से हवाओं में जो खुशबू घोल सकते हैं, अभी कुछ लोग बाकी हैं, जो उर्दू बोल सकते हैं’ पर खूब वाह-वाही हुई। कवि सम्मेलन में कवयित्री मिसबाह इलाहाबादी ने कुछ यूॅ पढ़ा ‘चराग तेज हवाओं में जलने लगते हैं, तुम्हारे आने से मौसम बदलने लगते हैं’ और देखती ही है दुनिया बड़े फक्र से, कल भी आबाद थी, अब भी आबाद हूँ, मैं इलाहाबाद हॅू, मैं इलाहाबाद हॅूं’ पर जमकर तालियाॅ बजी। शाहिद इलाहाबादी ने मंच से पढ़ा कि ‘भारी बरसात में कैसे कहूॅ सावन नहीं भीगा, किसी का तन नहीं भीगा, किसी का मन नहीं भीगा’ पर खूब तालियाॅ बजी।
वहीं पुस्तक मेले में पहुॅचे पुस्तक प्रेमियों ने अपनी-अपनी राय भी पुस्तक मेले के आयोजकों को यहां पर रखे विजिटर डायरी के माध्यम से दी। अमृत लाल नागर और डाॅ0 बबिता गौतम लिखती हैं, कि पुस्तक मेला ज्ञान वृद्वि की पुस्तकों का शानदार संगम है। डिजिटल युग में इस प्रकार कि पुस्तकों का प्रयास निरंतर जारी रखना चाहिये। ममता दिवाकर लिखती हैं कि यहां प्रयागरात में छात्र-छात्राएं रहतीं इसलिये पुस्तकें सस्ती होनी चाहिये। विकल्प लिखते हैं कि साहित्य नगरी प्रयागराज के गौरव की पुर्नस्थापना हेतु अपरिहार्य है। एक पुस्तक प्रेमी प्रबोध मानस लिखते हैं कि अत्यंत सार्थक प्रदान करता ये उद्देश्य। इसके लगने से ई-पुस्तक नहीं पढ़ते। मोती लाल मौर्या का कहना था कि बुक स्टाल का एक कम्बाइंड स्टाल लगना चाहिये। आशा सिंह का कहना था कि यहां पुस्तकें बहुत अच्छी है, ये मेला साल में दो बार लगना चाहिये। पुस्तक मेले में पहुॅचे कौशल कुमार और कुछ अन्य पाठकों को उनकी मनपसंद किताब गुुलजार का ‘जंगलनामा’ न मिलने पर निराशा जाहिर कि और कहा कि उन्हें उम्मीद है कि अगली बार से आयोजक इस ओर ध्यान देंगे। देवेन्द्र मिश्रा ने संस्कृत में लिखा कि संस्कृत की धार्मिक पुस्तकों को भी पुस्तक मेले में लगाना चाहिये। रिया सेन विजिटर बुक में लिखती हैं कि पुस्तक मेले में काफी लोगों की मदद हुई। उन्हें अपनी रूचि की पुस्तकें मिली। अधिवक्ता गुरू प्रसाद मदन ने सुझाव दिया कि स्टाल पर आज के वंचित समाज के अनुसार साहित्य की पुस्तकें होनी चाहिये। और उसकी सूचि स्टालों पर हो। अलोक शुक्ला ने लिखा कि आधुनिकता के इस दौर में पुस्तक के प्रति लोगों का सराहनीय प्रयास।


रविवार को पुस्तक मेला का समापन होगा। जिसके मुख्य अतिथि डाॅ0 शिखा दरबारी मुख्य आयुक्त आयकर और विशिष्ठ अतिथि के तौर पर सीए संजय तलवार व सिविल लाइन व्यापार मण्डल के अध्यक्ष सुशील खरबन्दा होंगे। अन्य अतिथियों में शिवशंकर सिंह महामंत्री सिविल लाइन व्यापार मण्डल, पीयूष रंजन अग्रवाल अध्यक्ष रोटरी प्रयागराज प्लैटिनम और चार्टर अध्यक्ष रोटरी प्रयागराज रितेश सिंह शामिल होंगे। सायंकाल 5 बजे मेले का समापन होगा।