पूरे भोपाल जिले में तीस जून तक निजी बोरिंग पर प्रतिबंध , पेयजल संरक्षण अधिनियम के अंतर्गत आदेश जारी

AT रिपोर्टर देवेन्द्र कुमार जैन भोपाल मध्यप्रदेश
भोपाल जिले में कृषि एवं व्यावसायिक कार्य हेतु भू-जल स्त्रोतो का अतिदोहन होने से पेयजल स्त्रोतो नलकूपों का जल स्तर तेजी से गिर रहा है। गिरते भू-जल स्तर के कारण संपूर्ण जिले में आगामी ग्रीष्मकाल में पेयजल संकट की संभावना को दृष्टिगत रखते हुए नये निजी नलकूपों के खनन पर प्रतिबंधित करना आवश्यक है अन्यथा ग्रीष्मकाल मे जिले में गंभीर पेयजल संकट का सामना करना पड़ सकता है। मध्यप्रदेश पेयजल परिरक्षण अधिनियम 1986 तथा संशोधन अधिनियम 2002 (अधिनियम)  प्रावधानों के तहत कौशलेन्द्र विक्रम सिंह कलेक्टर एवं जिला मजिस्ट्रेट जिला भोपाल ने अधिनियम की धारा 3 के अंतर्गत भोपाल जिले के शहरी एवं ग्रामीण क्षेत्रों को जल आभावग्रस्त क्षेत्र घोषित किया है जिले में निरन्तर भू-जल की गिरावट को देखते हुए संम्पूर्ण जिले में अशासकीय व निजी नलकूप खनन करने पर एक अप्रेल से तीस मई तक प्रतिबंध लगाया है। जारी आदेश के अंतर्गत सम्पूर्ण जिला भोपाल की राजस्व सीमाओं में नलकूप,बोरिंग मशीन संबंधित अनुविभागीय अधिकारी की अनुमति के बिना न तो प्रवेश करेगी (सार्वजनिक सडको से गुजरने वाली मशीनों को छोडकर) और न ही बिना अनुमति के कोई नया नलकूप खनन करेगी। संबधित राजस्व एवं पुलिस अधिकारियों को ऐसी बोरिंग मशीन जो अवैध रुप से जिले में प्रतिबंधित स्थानों पर प्रवेश करेगी या नलकूप खनन का प्रयास करेगी उन मशीनों को जप्त कर संबंधित पुलिस थाने में एफ.आई.आर. दर्ज की जायेगी ।आदेश का उल्लघन करने पर दो हजार रुपये के जुर्माने तथा दो वर्ष तक के कारावास या दोनों से दण्डित करने का प्रावधान है।इसमें शासकीय योजनाओं के अंतर्गत किये जाने वाले नलकूप उत्खनन पर यह आदेश लागू नहीं होगा, तथा लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग द्वारा कार्ययोजनांतर्गत नलकूप खनन का कार्य कराया जा सकेगा, इसके लिए अनुज्ञा प्राप्त करना आवश्यक नहीं होगा।नये किये गए बोरिंग निजी नलकूप एवं अन्य निजि जल स्त्रोतों का आवश्यकता होने पर सार्वजनिक पेय जल व्यवस्था हेतु अधिग्रहण किया जा सकेगा।