सहारा साम्राज्य और घोटाला।

वरिष्ठ पत्रकार मनोज कुमार तिवारी की रिपोर्ट

कहा जाता है भारत में रेलवे के बाद अगर सबसे ज्यादा किसी ने नौकरी दिया तो वह था सहारा ग्रुप . कैसे भारत के सबसे बड़े ग्रुप या परिवार पर इतना बड़ा जुरमाना लग जाता है , कैसे गोरखपुर का लमरेटा स्कूटर पर चलने वाला व्यक्ति इतनी बड़ी कंपनी खड़ी करता है . कैसे सेबी की नजर पड़ी और पता चला की भारत के 3 करोड़ लोगों का 24 हजार करोड़ रूपया लौटाया नहीं।

आज़ादी के एक साल बाद 10 जून 1948 में बिहार के आदरिया जिले में सुब्रतो राय का जन्म होता है . इनके माता पिता पहले ढाका में रहते थे और बाद में बिहार में आये. शुरू में कोलकाता में पढ़ाई होती है , बाद की पढ़ाई के लिए सुब्रतो का परिवार गोरखपुर में शिफ्ट हो जाता है . गोरखपुर टेक्निकल कॉलेज से मकैनिकल में इंजीनियरिंग किया . पहले तो सुब्रतो राय का मन नौकरी करने का था लेकिन पिता की मृत्यु के बाद जिम्मेदारी बढ़ जाती है और नौकरी नहीं कर पाते हैं।

सुब्रतो राय ने अपना काम शुरू किया

सुब्रतो राय ने लमरेटा स्कूटर से नमकीन बेचने का काम शुरू किया , वे स्कूटर पर नमकीन लादकर दुकानों पर बेचते थे . उनके नमकीन बेचने और बनाने की वेंचर का नाम रखा था जाया प्रोडक्ट्स . नमकीन का काम चला नहीं वे 30 साल के हो चुके थे , अपनी पत्नी स्वप्ना रॉय के साथ कई और काम किये लेकिन कोई चला नहीं।


1978 का साल था जब सुब्रतो राय के जेहन में एक बिजिनेस आईडिया आया जो इनकी जिंदगी को बदल कर रख दिया

सुब्रतो राय ने गोरखपुर में एक कंपनी डाली जिसका नाम था सहारा इंडिया . सहारा इंडिया का गोरखपुर में एक छोटी सी ऑफिस थी 2000 रुपये की लागत से शुरू किया गया . केवल तीन लोग इस कंपनी में काम करते थे. सहारा इंडिया कंपनी का काम था की जो रोजमर्रा कमाते हैं उनको कम से कम अपनी कमाई का 20 फ़ीसदी डेली जमा करते हैं तो कुछ दिनों में इसका दूना देंगे।

सहारा ने गावं के लोगों का भरोसा जीता

1978 से 1985 तक सहारा ने गावं के लोगों का भरोसा जीता और सहारा ग्रुप में लोग इन्वेस्ट करने लगे . शुरुवात में 48 लोग सहारा में पैसे डिपाजिट करने लगे , पहले सहारा डेली वर्करों से 10 से 15 रुपये रोज जमा करवाते थे , कुछ समय बाद दूना करके देने लगे , लोगों का भरोसा बढ़ा वे 50 से 100 रुपये जमा करने लगे . लोगों को पैसा वायदे के मुताबिक मिलता जा रहा था . लोगों में सहारा के प्रति भरोसा बढ़ता जा रहा था . पहले सहारा का कॉसेप्ट था कोई मालिक नहीं कोई ट्रेड यूनियन नहीं सब परिवार की तरह काम करें . खुद सुबरतो राय का पद मैनेजिंग वर्कर का था।

सहारा ने लोगों को नौकरी पर रखना शुरू किया

1980 के बाद सहारा ने लोगों को नौकरी पर रखना शुरू कर दिया , अब सहारा लोगों को नौकरी देने लगा , इसमें पहले गावों के नवजवानों से इन्वेस्ट कराया जाता था और उनको एजेंट बनाया जाता था , एजेंट लोगों को इन्वेस्ट के लिए प्रेरित करते और लोगों को पैसे डबल करके देते थे. लगातार एजेंटों की संख्या बढ़ती जा रही थी . 1990 आते – आते हजारों एजेंट बन चुके थे इनको तनख्वाह नहीं मिलती थी लेकिन अच्छा कमीसन मिलता था. लाखों लोग सहारा में पैसे डिपाजिट करते थे।

सहारा पैसा कहाँ से डबल करके देता

इसका फंडा था की नए लोगों का पैसा पुराने लोगों को बढ़ा कर देता था , जिसको पैसा मिलता था वह दुबारा इन्वेस्ट करता था और लोगों को साथ लाता था ऐसे ही साइकिल चल रही थी . सुब्रतो राय के जिंदगी के दो कांसेप्ट थे पहला खुद को गरीबों के मसीहा के रूप में अपने को दिखाने का और दूसरा भारत का हर बड़ा आदमी उनका दोस्त हो और उनकी इज्जत करे. इन दो मकसद के साथ सहारा सफल हो रहा था ।

सबसे बड़ा इन्वेस्टमेंट सहारा ने एविएशन में किया

1993 का साल था जब सबसे बड़ा इन्वेस्टमेंट सहारा ने एविएशन में किया सहारा इंडिया नाम से एयर सेवा शुरू किया . दो बोईंग एयर क्राफ्ट के साथ सहारा इंडिया बने उड़ान भरना शुरू किया 1993 में . सबसे पहले सहारा पर सवाल उठा 1996 में। 1996 में लखनऊ के इन्कमटैक्स कमिश्नर ने डिपॉजिटरों की लिस्ट मांगी थी , उस अधिकारी का नाम था प्र्शनजीत सिंह . प्र्शनजीत सिंह ने कुछ ही डिपॉजिटरों की लिस्ट मांगी थी जो नेता लोग थे . सहारा ने नाम तो नहीं दिया लेकिन अगले दिन अख़बारों में जिनके नाम मांगे गए थे उनके नाम निकलवा दिए गए और कुछ दिन में ही प्र्शनजीत सिंह का तबादला हो जाता है जो जाँच कर रहे थे।

साल 2000 आते आते सहारा के निवेशकों की संख्या करोड़ो में हो गयी

2000 का साल इतना भाग्यशाली रहा सहारा के लिए की सहारा ने सहारा टीवी शुरू किया , एविएशन के बाद मीडिया में भी सहारा ने कदम रख दिया , 2002 में सहारा ने क्रिकेट टीम को स्पोंसर करना शुरू किया और हर तरह की टीम का स्पोंसर किया , सब खिलाड़िओं की जर्सी पर सहारा लिखा मिल जाता है।

डिपॉजिट स्कीम चल ही रही होती है . लेकिन 2002 से गड़बड़ी होनी शुरू होती है

गड़बड़ी यह हुई की इन्वेस्टर की जब मचौरिटी होनी होती थी तो उनको बताया जाता था अपना पैसा इसमें इन्वेस्ट कर दो तो तीन गुना हो जायेगा , इसमें कर दो तो कम समय में दो गुना हो जायेगा . लोगों ने पैसा लगाया भी क्योंकि उनको भरोसा था सहारा पर . 2003 में सहारा का नेट वर्क 32000 करोड़ का हो चूका था और 7 लाख लोग सहारा के लिए काम कर रहे थे।

सुब्रतो राय ने अपने दोनों बेटों की शादी की

2004 में सुब्रतो राय ने अपने दोनों बेटों सीमन्तो और सुशांतो की शादी की , एक ही दिन लखनऊ से शादी हुई और इस शादी में करीब 552 करोड़ रुपये खर्च किये गए . यह ऐसी शादी थी कि कोई ऐसा नेता नहीं था भारत का कोई ऐसी बड़ी हस्ती नहीं थी भारत कि जो ना आयी हो . आर्टिस्ट , हर राज्य के मुख्यमंत्री , प्रधानमंत्री , सारे मंत्री सब निमंत्रित थे . दुनिया भर से बड़े-बड़े मेहमान बुलाये गए . करीब दस हजार मेहमान दुनिया भर से लखनऊ पहुंचे थे . कहा जाता है इस शादी से बड़ी शादी आज तक भारत में नहीं हुई है।

यह पैसा जो शादी में खर्च हुआ था किसका ?

अब सबसे बड़ा सवाल यह था की यह पैसा जो शादी में खर्च हुआ था किसका ? कहाँ से 552 करोड़ शादी के लिए आया ? 2004 में सहारा के डिपाजिटरो कि संख्या 6 करोड़ से ज्यादा हो चुकी थी . यानि हर 17 इंडियन में एक था जिसने सहारा में निवेश किया हुआ था . मीडिया में सहारा के नेगेटिव कोई खबर नहीं चलती थी. सुब्रतो राय ज्योतिष में बहुत भरोसा करते थे , गोरखपुर के एक पंडित जी थे कृष्ण मुरारी उनसे सलाह लेते थे. उन्होंने चेतावनी दिया था कि संकट आने वाल है लेकिन सुब्रतो ने ध्यान नहीं दिया।

2005 आते आते सहारा ने गावों के लोगों जिन्होंने इन्वेस्ट किया था उनको बोला गया की आप एजेंट को पैसा नहीं देंगे

2005 आते आते सहारा ने गावों के लोगों जिन्होंने इन्वेस्ट किया था उनको बोला गया की आप एजेंट को पैसा नहीं देंगे सहारा ऑफिस में खुद जाकर जमा करेंगे . अब गरीब आदमी जो डेली काम करता है उसके पास टाइम नहीं होता था शहर जाकर पैसे जमा करे , एजेंट बंद हो गए थे . अब लोग जो नहीं जा पाते थे इनको नोटिस आने लगी और जुरमाना लगाया जाने लगा , बताया गया कि आप जमा नहीं करेंगे तो अब तक जमा पैसा जप्त हो जायेगा . इसी समय से लोगों का भरोसा सहारा से उठना शुरू हो गया था . लोगों ने निवेश कम कर दिया लेकिन सहारा का निवेश बढ़ता जा रहा था 2006 में पुणे में दस हजार छह सौ एकड़ में आंबे वैली सिटी बनायीं जाती है . 360 एकर में सहारा सिटी बसा दिया जाता है लखनऊ में।

2006 में सहारा ने अपनी एयरलाइंस को जेट एयरवेज को बेंच दिया

2006 – 7 तक शाहरा के पास भारत भर में 22000 एकर जमीन थी जिसकी वैलु 64000 करोड़ कि थी , एक तरफ निवेशकों का पैसा नहीं मिल रहा था और सहारा अपनी समपत्ति बढ़ाता जा रहा था . 2007 में सहारा ने अपनी दो कंपनियों को पब्लिक किया . अभी तक लोगों को पता नहीं था . जब सहारा ने अपनी कंपनी को पब्लिक किया तो इंडियन स्टॉक एक्सचेंज में लिस्ट हुई . लिस्टिंग के समय कंपनी के डिटेल को जब चेक किया जाता है तो कई गड़बड़ियां सामने आती हैं।

2007 के बाद 2009 में सेबी कि नजर सहारा ग्रुप पर पड़ जाती है।

दिसंबर 2009 और जनवरी 2010 में दो कम्प्लेन सेबी के पास आती जो निवेशक थे पहले थे रोशन लाल और दूसरे थे कलावती . दो कम्प्लेन के बाद सेबी का शक और गहरा हो गया . अब मीडिया भी खबर बनानी शुरू कर दी , जब मीडिया में बात आने लगी तो मुद्दा गरमा गया . सुब्रतो राय को सेबी के मुख्यालय बुलाया गया पूछतांछ हुई , सेबी ने बताया की सहारा के अंदर बहुत कुछ गलत चल रहा है . इन्वेस्टर के बारे में सहारा के पास जानकारी नहीं है . नाम पता और डिटेल गलत थे . सेबी ने आरोप लगाया की 24000 करोड़ रूपया निवेशकों का वापस नहीं किया .
मामला सुप्रीम कोर्ट में गया . सुब्रतो राय का कहना था कि यह मामला पब्लिक मैटर नहीं है , यह हमारे परिवर्त का मेटर है।

सुब्रतो राय ने नूयार्क में प्लाजा होटल और लंदन के गोस वेमर होताकल को खरीद लिया

कोर्ट में मामला चल रहा था इसी बीच सुब्रतो राय ने नूयार्क में प्लाजा होटल और लंदन के गोस वेमर होताकल को खरीद लिया . 2010 में 1002 करोड़ में पुणे वारियर क्रिकेट टीम को खरीद लिया . आरोप 24000 करोड़ का था और निवेश करते जा रहे थे . 31 अगस्त 2012 को सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया कि 24000 करोड़ 3 करोड़ निवेशकों को लौटना पड़ेगा . क्यों की यह जनता का पैसा है भारत के गरीबों का पैसा है यह प्राइवेट पैसा नहीं है . सहारा ने कहा की उन्होंने 20 हजार क्रूर कैश में लौटा दिया है . लेकिन न तो सेबी को यकीन हुआ और न तो कोर्ट को . कोई प्रूफ नहीं था जब सेबी की तरफ से प्रूफ मांगे गए तो सहारा ने क्या किया , सेबी को चलेंगे करते हुए सहारा ने 127 ट्रक में 31600 अलग अलग कॉर्टून भर कर डॉक्युमनेट रवाना कर दिया सेबी मुख्यालय को . जिनमें 3 करोड़ अप्लीकेशन फॉर्म थे , 2 करोड़ रेडमशन बाउचर थे . जब यह ट्रक मुंबई पहुंचे तो मुंबई के आउटर एरिया में जाम लग चुका था . सेबी के दफ्तर भेजने का मकसद था सबको वेरीफाई करने में सालों लग जायेगा।

सेबी ने भी CHALLENGE स्वीकार किया और डाक्यूमेंएट की छानबीन शुरू की

चेक करने के दौरान करोड़ो नाम थे जो फर्जी थे . 20000 नामों को सैंपल के तौर पर नोटिस गयी जिनमें से केवल 68 लोगों का उत्तर आया . 8000 पत्र वापस सेबी को लौट अये . जब डिपोजिटर थे नहीं तो यह पैसा कहाँ से आ रह था . BLACK धन था या अमीरों के पैसे थे . 2013 में क्रिकेट से स्पॉन्सर हटा लिया , सुप्रीम कोर्ट की किसी पेशी में नहीं गए , सुब्रतो राय के देश छोड़ने पर रोक लग गयी साथ ही २८ फरवरी 2014 को गिरफ्तार हो गए और तिहाड़ के 5 गुने 12 के सेल में क़ैद किया जाता है।

2016 में सुब्रतो राय को जमानत मिला।


2016 में सुब्रतो राय को जमानत मिल जाती है . सुब्रतो राय और घोटाले बाजों की तरह देश नहीं छोड़ा . सरकार सहारा के निवेशकों को पैसा लौटाने के लिए AAPS का निर्माण किया , कुछ लोगों को पैसे मिले भी . इसी बीच सुब्रतो राय की मृत्यु कल हो गयी . ऐसे जमीन से जुड़े विवादित शख्स के बारे में क्या कहा जाय।