11 साल में एक बार सन बदलता है मैगेनेटिक फील्ड
सूरज में गुरुवार को 6 साल में सबसे बड़ा सोलर फ्लेयर देखा गया है। इसका एक वीडियो स्पेस वेदर वॉच ने शेयर किया है जिससे इसके बारे में पता चल पाया। इस फ्लेयर की कैटिगरी एक्स 2.8 है,जो एक बहुत ही स्ट्रांग फ्लेयर माना जाता हैं।
वही इस फ्लेयर के बाद अर्थ पर एक बड़ा सौर तूफान आने का खतरा बढ़ गया है। सोलर फ्लेयर्स सूरज के मैगेनेटिक फील्ड में डिसटर्बेंस पैदा करते है। यह डिसटर्बेंस सूरज के प्लाज्मा को तेजी से बाहर निकाल देती हैं। यह प्लाज्मा एक तेज धारा के रूप में स्पेस में फैल जाता है। इस धारा को कोरोनल मास इंजेक्शन(सीएमई) कहा जाता है। इस फ्लेयर के चलते तूफान की आशंका बन गई है।
क्या है सीएमई?
* सीएमई यानी कि कोरोनल मास इजेक्शन एक सौर घटना है जिसमें सूरज की सतह से प्लाज्मा और मैगेनेटिक फील्ड स्पेस में निकल जाता हैं।
* सीएमई मैगेनेटिक फील्ड के चेंजेस के कारण होता है। जब सूरज के मैगेनेटिक फील्ड में उतार- चढ़ाव होता हैं तो प्लाज्मा और मैगेनेटिक फील्ड एक साथ खिंच जाते है और एक विशाल तीर के आकार में बाहर निकल जाते है।
* सीएमई अर्थ तक पहुंचने में कई घँटे या दिन लग सकता है। यह अर्थ के मैगेनेटिक फील्ड से टकराता है, जिससे तूफान पैदा कर सकता है जिसके चलते कई तरफ के डिस्टर्बेंस हो सकता है।
* सबसे शक्तिशाली C.M.E. जिसकी पहचान की गई है, वह 1989 में हुआ था। इस सीएमई ने कनाडा में बिजली ग्रिड को बंद कर दिया था।