मुस्लिम गुरू के मार्गदर्शन में ब्राह्मण बेटी बनी संस्कृत का विद्वान।

पीएम के बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ नारे को साकार कर रही शिखा राष्ट्रपति के हाथों मिले दो—दो गोल्डमेडल से हुई निहाल।

भदोही,यूपी। मई 2019 की बात है। महामना काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के धर्म कला विज्ञान संकाय में फिरोज नामक एक संस्कृत अध्यापक की नियुक्ति होने पर छात्रों ने बवाल काटा था। छात्रों का कहना था कि एक गैर हिन्दू अध्यापक भला संस्कृत की शिक्षा क्या देगा। यह मामला काफी चर्चित हुआ था। वहीं बनारस से अलग होकर पृथक जिला बने भदोही में एक मुस्लिम शिक्षक ने ही शिखा द्विवेदी को संस्कृत का विद्वान बना दिया। संस्कृत में टॉपर शिखा को गत दिनों वाराणसी में आयोजित समारोह में राष्ट्रपति ने अपने हाथों दो गोल्डमेडल दिये।


शिखा द्विवेदी जिले के मकनपुर मोढ़ निवासी वरिष्ठ पत्रकार रामश्रृंगार द्विवदी की पौत्री व युवा पत्रकार कृष्णकुमार द्विवेदी के पांच बच्चों में तीसरी संतान है। उसकी प्राथमिक शिक्षा मोढ़ स्थित सूर्या बालिका इण्टर कालेज में हुई है। वर्तमान में वह घनशयाम दूबे महाविद्यालय सुरियावां में बीएड कर रही है। वह कुशाग्र छात्रा है। बीए प्रथम द्वितीय व तृतीय में भी उसने कालेज में टॉप किया था। कालेज में शिक्षा ग्रहण करने के साथ ही उसने मोढ़ निवासी संस्कृत के अध्यापक फुरसत अली के मार्गदर्शन में संस्कृत की शिक्षा पाकर गोल्डमेडल की हकदार बनी है। उसकी इच्छा सिविल सर्विस में जाकर देश करने की है। शिखा का भाई विभव ग्वालियर से बी फार्मा कर रहा है। उसकी दो बहने प्राची और मुस्कान भी अपने कालेज की टॉपर रही है। सबसे बड़ी बहन आकांक्षा की विवाह हो चुका है। वह भी पढ़ने में बहुत होनहार रही है।

कौन है फुरसत अली जिसने शिखा को बनाया संस्कृत का विद्वान

जिले के मोढ़ बाजार के बीचोंबीच होकर जब कोई गुजरता है तो पक्के मकानों के बीच मिट्टी की दीवारों पर खपरैल रखकर बनाया गया एक जर्जर मकान बरबस ही लोगो की निगाह अपनी ओर खींच लेता है। पक्की इमारतों के बीच यह मकान कोट में पैबंद की तरह नजर आता है। लोगों के मन में बरबस ही यह सवाल उठ जाता है कि जब बाजारों में लोग बहुमजिली सुख सुविधा युक्त बहुमंजिली इमारतें बनवा रहे हैं तो मुफलिसी में जीने वाला यह शख्स कौन है। इसी घर में रहता है शिखा को संस्कृत का विद्वान बनाने वाला फुरसत अली। कहते हैं जहां सरस्वती वास करती हैं वहां लक्ष्मी नहीं आती और यहीं कहावत चरितार्थ करता है।

संस्कृत विद्वान फुरसत अली का जीवन

फुरसत अली की संस्कृत में गहरी आस्था है। उसने घनश्याम दूबे महाविद्यालय सुरियावां से बीए बीएड किया है। काशी नरेश राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय से संस्कृत में एमए प्रथम श्रेणी में पास किया है। वर्तमान में प्रयागराज जनपद के हंडिया पोस्ट ग्रेजुएट कालेज से एमएड कर रहा है। शिक्षा ग्रहण करने के साथ फुरसत अली छात्र छात्राओं को संस्कृत पढ़ाता है और उससे जो धनोपार्जन होता है। उसी से वह अपनी शिक्षा पूरी कर रहा है। नौकरी के लिये भी उसका संघर्ष जारी है किन्तु कभी कभी उसके मन में समाज के व्यवहार से निराशा भी उत्पन्न हो जाती है। फिर भी मंजिल मिलने तक संघर्ष जारी रखने की कामना रखता है।

गोल्ड मेडलिस्ट शिखा को बधाई देने वालों का लगा तांता

राष्ट्रपति से गोल्डमेडल मिलने के बाद उसके घर पहुंच कर बधाई देने वालों व सम्मान करने वालों का तांता भी लगा हुआ है। घनश्याम दूबे महाविद्यालय में उसके सम्मान में कार्यक्रम रखकर उसे सम्मानित किया गया। पत्रकारों ने भी उसके घर पहुंचकर पुष्पगुच्छ देकर सम्मानित किया। राष्ट्रपति द्वारा गोल्डमेडल मिलने की सूचना पर जयदीप हॉस्पिटल के निदेशक डॉ. वीके दूबे सहित पत्रकार हरीश सिंह, समाजसेवी राजकुमार पाण्डेय, के के श्रीवास्तव आदि लोग घर पहुंचे और अंगवस्त्रम व स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित किया और सुखद जीवन के लिये आशीर्वाद दिया।