भारत मे EVM कब होगा बंद?

भारत में ईवीएम की शुरुवात


दिल्ली। दोस्तों राजनीती ऐसी चीज है जिसमें सफल हर नेता होना चाहता है, फिर सफलता चाहे जैसे हो, जब जागरूकता कम थी तब लोग डरा धमका कर राज करते थे, धीरे धीरे राजनीती में अपराधियों ने प्रवेश कर लिया और पूरी राजनीती को ही धूमिल कर दिया, जनता जागरूक हुई अपराधियों को राजनीती से समाप्त करने लगी अपने वोट के दम पर तो बुद्धि से सत्ता हासिल किये जाने की बात सामने आयी।

EVM भारत में कब बंद होगा, क्यों बंद होगा और कैसे बंद होगा

EVM पर सवाल 2009 के चुनाव के बाद से ही शुरू हुआ जब दूसरी बार यूपीए के सत्ता में आने पर बीजेपी नेता लाल कृष आडवाणी ने ईवीएम पर सवाल उठाया, बीजेपी नेता जीवीएल नरसिंम्हा राव ने एक किताब लिखा ‘डेमोक्रेसी ऐट रिस्क ड्यू टू ईवीएम्स’ और लोगों को बताया कि कैसे ईवीएम हैंक हो सकता है।

2014 लोकसभा के चुनाव के बाद ईवीएम पर शक गहराया


2014 लोकसभा के चुनाव के बाद ईवीएम पर शक गहराया लेकिन सबसे पहले 2017 के उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के परिणाम के दौरान बसपा अध्यक्ष मायावती ने EVM से बेईमानी का आरोप लगाया और मायावती ने सबसे पहले ईवीएम पर बैन लगाने की बात की। समय समय पर आंदोलन भी हुए और आरोप लगाया गया कि ईवीएम में वोट किसी को भी दो एक जगह वोट जाता है और इसका लाभ बीजेपी को मिलता है , इसमें शक भी होता है कि विपक्ष का आरोप सही है, जब पूरा विपक्ष चाहता है कि चुनाव बैलेट से हो तो बीजेपी ही क्यों ईवीएम से चुनाव चाहती है ?

EVM का अविष्कार

ईवीएम का अाविष्कार साल 1980 में एम बी हनीफा द्वारा किया गया था। उन्होंने इसका पंजीकरण 15 अक्तूबर 1980 को कराया। सबसे पहले 1982 में केरल के परुर असेंबली चुनाव में पहली बार ईवीएम का इस्तेमाल किया गया था. इसके बाद 1999 में लोकसभा चुनावों के दौरान ईवीएम का कुछ-कुछ जगहों पर इस्तेमाल किया गया. साल 2004 में लोकसभा और स्टेट असेंबली चुनावों में ईवीएम का पूरी तरह से इस्तेमाल किया गया।

EVM हैकिंग और छेड़छाड़ के आरोपों की जांच के लिए एक कमेटी बनाई गई थी। ये कमेटी चुनाव आयोग ने बनाई थी. इस कमेटी ने मई 2019 में अपनी रिपोर्ट दी थी। इस रिपोर्ट में EVM की हैकिंग या उससे छेड़छाड़ क्यों नहीं हो सकती, इसके दो तर्क दिए गए थे- 

पहला तर्क : चुनाव आयोग जिस EVM का इस्तेमाल करता है, वो स्टैंड अलोन मशीनें होती हैं. उसे न तो किसी कम्प्यूटर से कंट्रोल किया जाता है और न ही इंटरनेट या किसी नेटवर्क से कनेक्ट किया जाता है, ऐसे में उसे हैक करना नामुमकिन है. इसके अलावा EVM में जो सॉफ्टवेयर इस्तेमाल होता है, उसे रक्षा मंत्रालय और परमाणु ऊर्जा मंत्रालय से जुड़ी सरकारी कंपनियों के इंजीनियर बनाते हैं. इस सॉफ्टवेयर के सोर्स कोड को किसी से भी साझा नहीं किया जाता है।

दूसरा तर्क : भारत में इस्तेमाल होने EVM मशीन में दो यूनिट होती है. एक कंट्रोलिंग यूनिट (CU) और दूसरी बैलेटिंग यूनिट (BU). ये दोनों अलग-अलग यूनिट होती हैं और इन्हें चुनावों के दौरान अलग-अलग ही बांटा जाता है। अगर किसी भी एक यूनिट के साथ कोई छेड़छाड़ होती है तो मशीन काम नहीं करेगी. इसलिए कमेटी का कहना था कि EVM से छेड़छाड़ करना या हैक करने की न के बराबर है।
ईवीएम पर प्रतिबंध और बैलेट से चुनाव होने के बारे में जानने के पहले यह जानना जरूरी है कि एक एस्ट‍िमेट के अनुसार 31 देशों में ईवीएम पर स्टडी करने के बाद पता चला कि इनमें केवल 4 ही ऐसे देश हैं जहां ईवीएम का पूरा इस्तेमाल किया जाता है. 11 देशों में  ईवीएम का इस्तेमाल कुछ ही हिस्सों और छोटे इलेक्शंस के लिए किया जाता है. 5 देशों में ईवीएम का प्रयोग पायलट बेसिस पर किया जाता है. 3 देशों ने इसका इस्तेमाल बंद कर दिया है और 11 देश जहां ईवीएम का इस्तेमाल पायलट बेसिस पर किया जाता है वहां भी ईवीएम को बंद करने पर विचार किया जा रहा है।

कहा जा रहा है की चिप के जरिए हो सकती है छेड़छाड़? 

EVM की CU में एक माइक्रो चिप लगी होती है. इसी चिप में उम्मीदवार का डेटा रहता है. कई बार ऐसे सवाल उठाए जाते कि इस माइक्रो चिप में मालवेयर के जरिए छेड़छाड़ की जा सकती है. हालांकि, चुनाव आयोग इस बात को खारिज करता है. चुनाव आयोग के मुताबिक, एक वोटर एक बार में एक ही बटन दबा सकता है. एक बार बटन दबाने के बाद मशीन बंद हो जाती है और फिर वोटर चाहकर भी दूसरा बटन नहीं दबा सकता. इसलिए चिप के जरिए कोई छेड़छाड़ करना संभव नहीं है।

अमेरिका में होता है बैलेट पेपर से चुनाव

दरअसल अमेरिका जहाँ पर पहली बार ईवीएम मशीन बनी और अमेरिका में ही बैलेट पेपर से चुनाव होता , अमेरिका सहित इंग्लैंड, फ्रांस, जर्मनी, नीदरलैंड में ईवीएम पर पर्तिबंध है।

भारत में हाल ही में ईवीएम पर कई दल के लोग सवाल उठा चुके हैं और कहा जा रहा है जब पृथ्वी से बिना तार और इंटरनेट के चाँद पर उपग्रह को नियंत्रण करके उसको ऑर्बिट में स्थापित किया जा सकता है तो एवीएम क्यों नहीं हक़ किया जा सकता है ? भारत में ईवीएम पर प्रतिबंध कब लगेगा इसका आभास बसपा अध्यक्ष मायावती को हो चूका है , एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में मायावती ने इसका जिक्र भी किया था।

भारत में क्यो नही हो रहा बैलेट पेपर से चुनाव

भारत में बैलेट पेपर से चुनाव इस लिए नहीं होते हैं कि समय लगता है , पेड़ काटकर कागज बनाये जाते हैं जिससे पर्यावरण पर असर होता है आदि कई तर्क दिए गए , लेकिन नेचुरल न्याय ईवीएम से नहीं मिल पाता है , अविश्वास की गुंजाईश रहती है , लेकिन बैलेट से चुनाव होने पर बूथ कैप्चरिंग की शिकायत यहाँ तक कि बैलेट बॉक्स ट्रक सहित बदलने की घटनाएं सामने आ चुकी हैं।

भारत में जनता की मांग पर ईवीएम पर बैन होना चाहिए और यह कई तरीकों से हो सकता है


पहले सरकार फैसला ले कि ईवीएम से न करा कर बैलेट पेपर से चुनाव कराये जायेंगे, इसके आसार कम ही दिखाई दे रहे हैं। दूसरा चुनाव आयोग खुद बैलेट से चुनाव कराने का निर्णय ले, तीसरा देश का सुप्रीम कोर्ट ईवीएम पर प्रतिबंध लगाए क्यों कि लोकतंत्र का अंतिम रक्षक सुप्रीम कोर्ट ही है। हाल ही में चंडीगढ़ मेयर के चुनाव में चुनाव अधिकारी द्वारा की गयी बेईमानी जो कमरे में कैद हुई देखकर सुप्रीम कोर्ट ने तल्ख़ टिप्पड़ी की है और आगामी दिनों में सुप्रीम कोर्ट ईवीएम पर बैन लगा सकता है, या तो सभी पार्टिया चुनाव लड़ने का विरोध कर दें तब ही ईवीएम पर बैन हो सकता है, हालाँकि देश के कई हिस्सों में ईवीएम को लेकर आनदोलन हो रहे हैं और मामला कोर्ट में है।