मौन को सुनेगा कौन, सत्तापक्ष नें बात अधूरी मानी, विपक्ष कि चुप्पी निंदनीय घोर।

ब्यूरो चीफ देवेंद्र कुमार जैन की रिपोर्ट

सीधी,एमपी। मध्य प्रदेश सरकार द्वारा प्रदेश भर के गांव स्तर तक की स्वास्थ्य व्यवस्था को निजी हाथों में सौंपे जाने के विरोध में आज अस्पताल बचावा जिउ बचावा संघर्ष मोर्चा द्वारा कलेक्ट्रेट के सामने “अस्पताल बचावा जिउ बचावा सत्याग्रह आंदोलन”  किया गया।

सत्याग्रह आंदोलन में उपस्थित लोगों को सम्बोधित करते हुए टोको-रोको-ठोको क्रांतिकारी मोर्चा के संयोजक उमेश तिवारी ने बताया की प्रदेश के 12 जिला अस्पताल 348 सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र और 161 सिविल अस्पताल को ठेकेदारी में दिए जाने के प्रदेश सरकार के निर्णय के विरोध में सीधी जिले के सभी सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र सेमरिया, चुरहट, रामपुर, खाम्ह, मझौली, कुसमी और सिहावल में “अस्पताल बचावा जिउ बचावा सत्याग्रह आंदोलन” के वाद आज सीधी कलेक्ट्रेट के सामने सत्याग्रह आंदोलन किया जा रहा है।


श्री तिवारी नें कहा कि मध्यप्रदेश एक ऐसा प्रदेश है जिसमें एक तिहाई जनसंख्या गरीबी रेखा से नीचे आती है। साथ ही जहां कुपोषित शिशुओं और मातृ मृत्यु दर की संख्या देश में सबसे ज्यादा है। वहां जनता की जीवनरक्षा के लिए उपलब्ध न्यूनतम राहत का जरिया रहे इन सरकारी अस्पतालों का भी निजीकरण करने से प्रदेश का गरीब और मध्यमवर्गीय तबका इलाज से पूरी तरह महरूम हो जाएगा। आम गरीब मजदूर बिना इलाज के ही दम तोड़ देगा। जन विरोध एवं स्वास्थ्य संगठनों के विरोध के चलते प्रदेश सरकार अधूरी मांगो को माननें कि बात कही जा रही है। सरकार के इस घोर जन विरोधी निर्णय पर बिपक्षी पार्टियों कि चुप्पी घोर निंदनीय है।


अपनी बात रखते हुए जन स्वास्थ्य अभियान के राष्ट्रीय संयोजक अमूल निधि नें कहा कि विगत दिनों मप्र सरकार कैबिनेट ने प्रदेश के अस्पतालों को PPP मॉडल पर निजी हाथों में देने के निर्णय लिया गया है जो जन विरोधी है, साथ ही जिलों में निजी निवेशकों को मेडिकल कॉलेज बनाने हेतु सस्ते दामो पर जमीन उपलब्ध कराने के साथ ही उन निजी मेडिकल कॉलेज से शहर के उन सरकारी जिला अस्पतालों को जोड़ा जाना है जिनमें 300 विस्तरों की सुविधा मौजूद है,  साथ ही ऐसे अस्पतालों के स्टाफ को भी निजी निवेशकों को सौंपा जायेगा तथा निजी निवेशक को मरीज से शुल्क वसूलने का अधिकार होगा।


बरगी बांध जबलपुर विस्थापित संघ के राजकुमार सिन्हा नें कहा कि विंध्य समाजवादियों का गढ़ रहा है सीधी इस तेवर की अलख जगाये हुए हैं। आज के सत्याग्रह आंदोलन से यही साबित हो रहा है। निजीकरण व्यवस्था से आप इंसानियत की उम्मीद नहीं कर सकते आपको लड़ाई लड़नी ही होगी। सवाल यह है निजीकरण से तो पूँजीपति को फायदा होगा लेकिन गरीब तबके का क्या होगा? स्वास्थ्य के क्षेत्र में बीमा कंपनियों का बड़ा खेल चल रहा है बीमा कराने वाले मरीजों को पैसा नहीं देते हैं। तमाम निजीकरण के खिलाफ आपको लड़ना होगा। आजादी की लड़ाई लड़ने वालों नें क्या यही सोचा था कि देश कुछ पूंजी पतियों कि जागीर होगा।

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सत्याग्रह आंदोलन को इन्होने नें भी सबोधि किया- रवि दत्त सिंह राष्ट्रीय संगठन मंत्री किसान मजदूर महासंघ, लालदेव सिंह सेवानिवृत्ति उप पुलिस अधीक्षक, ददन सिंह, उर्मिला रावत, प्रभात वर्मा टोको रोंको ठोको क्रांतिकारी मोर्चा, जगन्नाथ द्विवेदी पत्रकार, विवेक कोल समाजसेवी, देवेंद्र सिंह चौहान समाजसेवी, दिनेश सिंह चौहान समाजसेवी, विकास नारायण तिवारी समाजसेवी, मनोज कोल सेमरिया, अजय भारती चुरहट, यज्ञ शरण सिंह जनपद सदस्य कुशमहर, संजय सोनी ओबीसी मोर्चा, द्वारिका बैस मझौली, विनायक पटेल जिला अध्यक्ष कुर्मी समाज, निसार आलम पूर्व जनपद सदस्य सिहावल, मानिक लाल सकेत चुरहट, छोटे लाल सिंह कुसमी, कान्हा मिश्रा ऋषिकेश फाउंडेशन, राजेंद्र जैसवाल एडवोकेट, राम रहीस रावत आदि। सत्याग्रह धरने के बाद मध्य प्रदेश के राज्यपाल के नाम 6 सूत्री ज्ञापन पत्र तहसीलदार को सोपा गया।